आज की खबर: एसोचैम की रिपोर्ट: नियामकीय देरी और जटिल प्रक्रियाओं ने MSME क्षेत्र की रफ्तार रोकी, फौरन राज्य-स्तरीय सुधारों की जरूरत

Jawad Ahmad Siddiqui Net Worth: दिल्ली ब्लास्ट केस में सुरक्षा एजेंसियों की जांच लगातार नए खुलासे कर रही है. अब इस मामले के तार हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर जावेद अहमद सिद्दिकी से जुड़ गए हैं. डॉक्टर शाहीन सईद और डॉक्टर मुजम्मिल शकील के साथ जावेद सिद्दिकी का नाम अब मुख्य संदिग्ध अभियुक्तों की सूची में शामिल है. वहीं, फंडिंग को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस केस की अलग से जांच कर रहा है. पुराने फर्जीवाड़े का केस जावेद सिद्दिकी पहले भी विवादों में रह चुके हैं. वह साढ़े सात करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े से जुड़े एक पुराने मामले में आरोपी हैं और इसके चलते करीब तीन साल तक जेल में रह चुके हैं. सिद्दिकी का एक बड़ा कॉर्पोरेट नेटवर्क है, जो अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के ज़रिए संचालित होता है. उनके ट्रस्ट के तहत करीब 9 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जो शिक्षा, सॉफ्टवेयर, फाइनेंशियल सर्विसेज और एनर्जी सेक्टर से जुड़ा कारोबार करती थीं. ये सभी कंपनियां दिल्ली के एक ही पते पर रजिस्टर्ड थीं और ज्यादातर 2019 तक एक्टिव थीं. इसके बाद कई को बंद कर दिया गया या वे निष्क्रिय हो गईं. जावेद सिद्दिकी ने देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी, इंदौर से बी.टेक किया था. लगभग 25 साल पहले वे इंदौर के महूं से दिल्ली-एनसीआर आ गए और फरीदाबाद में बस गए. शुरुआत में उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज खोला, जिसके बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थापना की. 1997: अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना 2019: मेडिकल कॉलेज को मान्यता मिली 2019: पहले बैच में एमबीबीएस की शुरुआत यूनिवर्सिटी परिसर में 650 बेड वाला मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल भी संचालित है. फंडिंग और संदेह की जांच ईडी के सूत्रों के मुताबिक, जांच इस दिशा में आगे बढ़ रही है कि क्या अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट और उससे जुड़ी कंपनियों के जरिए फंड डाइवर्जन या मनी लॉन्ड्रिंग की गई. सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि इन चैनलों का उपयोग दिल्ली ब्लास्ट मामले से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों में किया गया हो सकता है. जांच एजेंसियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं, क्योंकि अब जांच का दायरा शैक्षणिक संस्थानों और उनसे जुड़ी वित्तीय लेनदेन तक पहुंच गया है. ये भी पढ़ें: कैसे ED की रेडार पर आए JP ग्रुप के पूर्व चेयरमैन मनोज गौर, कारोबार से गिरफ्तारी तक… पूरी कहानी
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