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Assocham Report: उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) ने गुरुवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नियामकीय देरी, ऊंची अनुपालन लागत और ‘सिंगल-विंडो’ मंजूरी प्रणाली की कमी जैसी बाधाएं देश के सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (MSME) को अपनी असली क्षमता तक पहुंचने से रोक रही हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि MSME सेक्टर को सशक्त बनाने के लिए राज्य स्तर पर तेज और ठोस सुधारों की जरूरत है. एसोचैम के अनुसार, कई नियामक और अवसंरचनात्मक अड़चनें व्यावसायिक गतिविधियों में बाधक बन रही हैं, जिनमें शामिल हैं — जटिल अनुमोदन और पंजीकरण प्रक्रियाएं पैसे की वापसी (रिफंड) में देरी जीएसटी और आईटीसी विवादों का बोझ लॉजिस्टिक और अवसंरचना संबंधी कमियां पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बिजली आपूर्ति की दिक्कतें, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ पर जोर रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि राज्यों में डिजिटल और समयबद्ध मंजूरी व्यवस्था लागू की जाए तो इससे निवेश माहौल में बड़ा सुधार होगा. विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में एकल खिड़की प्रणाली (Single Window Clearance) के तत्काल कार्यान्वयन की सिफारिश की गई है, क्योंकि वहां मौजूदा सिस्टम खंडित है. एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में इन राज्यों की स्थिति का विश्लेषण किया है —ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात, दादरा एवं नगर हवेली, गोवा, जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश. सुधार के लिए प्रमुख सिफारिशें रिपोर्ट में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वित सुधार की जरूरत बताई गई है और निम्नलिखित कदम सुझाए गए हैं — मंजूरी प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाना जीएसटी सुधार और आईटीसी विवादों का समाधान भूमि उपयोग परिवर्तन की समयबद्ध प्रक्रिया श्रम कानूनों और कंपनी नियमों को युक्तिसंगत बनाना लॉजिस्टिक हब, ई-वे बिल प्रणाली और आधुनिक बिजली वितरण ढांचे को मजबूत करना MSME को सशक्त बनाने की दिशा में पहल एसोचैम ने सुझाव दिया है कि सरकार को MSME के लिए इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिए — कौशल विकास और तकनीकी नवाचार निर्यात संवर्धन वित्तीय योजनाओं और प्रोत्साहनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इन मुद्दों का समाधान किया जाए, तो सरकार एक भरोसेमंद, पारदर्शी और कुशल कारोबारी माहौल बना सकती है, जिससे भारत का MSME सेक्टर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत स्थिति में पहुंच सकेगा. ये भी पढ़ें: कैसे ED की रेडार पर आए JP ग्रुप के पूर्व चेयरमैन मनोज गौर, कारोबार से गिरफ्तारी तक… पूरी कहानी
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