आज की खबर: ऑपरेशन त्रिशूल से डरा पाकिस्तान, मुनीर की आर्मी बोली- समंदर के रास्ते भारत कर सकता है PAK पर हमला
अमेरिकी भूकंपीय एजेंसी (USGS) के आंकड़े बताते हैं कि मई से नवंबर में भी कलात, झोब, बरखान और डेरा गाजी खान जैसे इलाकों में कई उथले झटके महसूस किए गए, जिनकी गहराई लगभग 10 किलोमीटर या उससे भी कम थी. इन झटकों में 28 जून का 5.3 तीव्रता वाला भूकंप सबसे बड़ा था, जिसका केंद्र बरखान के पास था. यही वह इलाका है, जहां पाकिस्तान ने 1998 में अपने परमाणु परीक्षण किए थे. पाक में आए वो भूकंप जो सवाल खड़े करते हैं. भूकंपीय पैटर्न पर गौर करें तो शक और गहरा होता है. मई से जून 2025 के बीच कलात और बरखान के बीच लगभग एक ही रेखा पर तीन से चार उथले भूकंप दर्ज किए गए और सभी 10 किलोमीटर या उससे कम गहराई पर महसूस हुए. क्यों बढ़ रहा है संदेह भूकंपीय विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बार-बार एक ही जगह, एक ही गहराई और लगभग समान तीव्रता के झटके दर्ज हों तो यह सिर्फ ‘नेचुरल सीस्मिक एक्टिविटी’ नहीं होती, यह किसी कृत्रिम विस्फोट या भू-सतह के नीचे ऊर्जा रिलीज का परिणाम भी हो सकता है. कलात बरखान के चागई जोन में लगातार तीन झटके (मई और जून 2025), चौथा झटका 28 जून 2025 को M 5.3, जो सीधे चागई टेस्ट साइट से लगभग 100 किमी के भीतर है. ये सभी घटनाओं की गहराई समान है, जिससे यह पैटर्न प्राकृतिक नहीं कहा जा सकता है. क्या यह ‘Post-Test Reactivation’ है? इतना उथला पैटर्न आम तौर पर प्राकृतिक नहीं माना जाता. इस तरह की तरंगें अक्सर विस्फोट या भूमिगत गतिविधियों से जुड़ी होती हैं. वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर एक ही इलाके में बार-बार, लगभग समान तीव्रता के झटके आएं तो यह केवल ‘नेचुरल सीस्मिक एक्टिविटी’ नहीं, बल्कि किसी ‘मैन-मेड एनर्जी रिलीज’ का भी संकेत हो सकता है. उत्तर कोरिया के 2017 के परीक्षणों के बाद भी इसी तरह के छोटे-छोटे झटके आसपास के इलाकों में दर्ज किए गए थे, जिन्हें बाद में ‘पोस्ट-टेस्ट रिएक्टिवेशन’ कहा गया. यह वह स्थिति होती है, जब जमीन के नीचे एक परमाणु विस्फोट के बाद परतों में जमा तनाव धीरे-धीरे निकलता है और महीनों तक छोटे-छोटे भूकंपों के रूप में दर्ज होता है. पाकिस्तान के मई-जून 2025 के झटके भी उसी तरह की तस्वीर पेश करते हैं. एक ही क्षेत्र में 6 महीनों के भीतर 4 बार भूकंप डेटा से जो दिखा, उसके अनुसार, एक ही क्षेत्र में 6 महीनों के भीतर 4 बार भूकंप आना, किसी भी भूकंप की गहराई 10 किमी ना होना और क्लस्टरिंग पैटर्न बिल्कुल वैसा, जैसा उत्तर कोरिया के 2017 के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद देखा गया था, इससे यह संभावना बनती है कि या तो पाकिस्तान में माइनिंग या मैन-मेड ब्लास्टिंग गतिविधि चल रही है या फिर कम तीव्रता का भूमिगत परीक्षण किया गया है, जो प्राकृतिक भूकंप के रूप में दर्ज हो गया है. वैज्ञानिक शब्दों में न्यूक्लियर टेस्ट से जमीन की परतों में जो तनाव (stress) पैदा होता है, वह आने वाले सालों तक ‘माइक्रो क्वेक्स’ यानी छोटे भूकंपों के रूप में बाहर निकल सकता है. अगर मई-जून 2025 के झटके उसी ‘स्ट्रेस…
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