Period delay pills: महिलाओं में पीरियड्स एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो हर महीने शरीर को स्वस्थ और संतुलित रखने के लिए जरूरी है. लेकिन कई बार धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ, यात्रा या शादी जैसे खास मौकों के दौरान महिलाएं पीरियड्स को रोकने के लिए दवाओं का सहारा लेती हैं. इन दवाओं से अस्थायी राहत तो मिल जाती है, लेकिन यह शरीर के हार्मोनल बैलेंस पर बड़ा असर डाल सकती हैं. आइए जानते हैं कि पीरियड्स रोकने वाली गोलियां कैसे काम करती हैं, कब ली जाती हैं और इनके क्या नुकसान हो सकते हैं. कैसे काम करती हैं पीरियड्स रोकने वाली दवाएं? पीरियड्स को रोकने या आगे बढ़ाने वाली दवाओं में आमतौर पर प्रोजेस्टेरोन हार्मोन होता है. यह वही हार्मोन है जो महिला के शरीर में पीरियड्स साइकिल को कंट्रोल करता है.जब कोई महिला इन दवाओं का सेवन करती है, तो यह शरीर के प्राकृतिक हार्मोनल चक्र को बदल देती हैं. इन दवाओं से शरीर को यह संकेत मिलता है कि गर्भावस्था जैसी स्थिति है, जिससे ओविलेशन और पीरियड्स अस्थायी रूप से रुक जाते हैं. आमतौर पर डॉक्टर Norethisterone या इसी तरह की दवाएं सलाह देते हैं, जिन्हें पीरियड्स आने से 3 से 4 दिन पहले लेना शुरू किया जाता है. पूजा-पाठ या धार्मिक अवसरों पर क्यों बढ़ जाती है मांग? भारत में धार्मिक मान्यताओं के कारण महिलाएं पीरियड्स के दौरान मंदिर या पूजा स्थलों में प्रवेश नहीं करतीं. ऐसे में जब कोई बड़ा त्योहार, शादी या व्रत का समय आता है, तो कई महिलाएं चाहती हैं कि उस दौरान पीरियड्स न आएं. इसी वजह से इन दिनों पीरियड्स रोकने वाली गोलियों की मांग बढ़ जाती है. कई बार महिलाएं डॉक्टर की सलाह के बिना ही इन्हें मेडिकल स्टोर से खरीदकर खा लेती हैं, जो खतरनाक साबित हो सकता है. इन दवाओं के नुकसान क्या हैं? पीरियड्स रोकने वाली गोलियां एक-दो बार लेने पर शायद कोई बड़ा असर न दिखाएं, लेकिन बार-बार या लंबे समय तक इनका सेवन शरीर पर कई दुष्प्रभाव डाल सकता है. हार्मोनल असंतुलन- इसमें सबसे पहला कारण यह है कि यह दवाएं शरीर के हार्मोन चक्र को बिगाड़ देती हैं, जिससे मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अनियमित पीरियड्स- दूसरा कारण यह है कि लगातार इन दवाओं का इस्तेमाल करने से पारियड साइकिल बिगड़ सकता है, जिससे अगले महीनों में पीरियड्स देर से या बहुत ज्यादा आ सकते हैं. सिरदर्द और थकान- तीसरा और सबसे बड़ा कारण यह भी है कि इन दवाओं के दुष्प्रभाव में सिरदर्द, थकान और मतली आम हैं. कुछ महिलाओं को हल्का बुखार या शरीर में भारीपन भी महसूस होता है. ब्लड क्लॉटिंग का खतरा- World Health Organization और National Health Service (NHS UK) के अनुसार, हार्मोनल दवाओं का अधिक सेवन खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ा सकता है, खासकर उन महिलाओं में जो धूम्रपान करती हैं या मोटापे से ग्रस्त हैं. फर्टिलिटी पर असर- अगर आप बार-बार इन दवाओं का प्रयोग करने से ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है, जिससे गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है. इसे भी पढ़ें- Chronic Lung Disease: क्रॉनिक लंग डिजीज वाले कितने हफ्तों…
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