आज की खबर: लोकतंत्र का भ्रम: ‘जनता का शासन’ बनाम ‘जनता पर शासन’
चुनाव के बाजार में राजनीतिक दल उत्पाद बेचने वाली कंपनियों की तरह हैं और मतदाता ग्राहक की भूमिका में हैं. यहां हर राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र, विज्ञापन और जनसंपर्क अभियान के जरिए खुद को ‘बेहतर ब्रांड’ के रूप में पेश करती नजर आती है.
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