आज की खबर: Shreyas Iyer Rib Cage Injury: पसलियों में इंटरनल ब्लीडिंग के कारण ICU में पहुंचे श्रेयस अय्यर, जानें कब हो जाती है ये खतरनाक?
Shreyas Iyer Rib Cage Injury: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे मैच के दौरान भारतीय टीम के उपकप्तान श्रेयस अय्यर को मैदान पर गंभीर चोट लग गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैच के दौरान उन्हें पसलियों में चोट लगी, जिससे उनके शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हो गई. चोट की गंभीरता को देखते हुए उन्हें तुरंत सिडनी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में रखा है. यह खबर सामने आने के बाद लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर इंटरनल ब्लीडिंग होती क्या है, यह कितनी खतरनाक हो सकती है. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि पसलियों में इंटरनल ब्लीडिंग क्यों होती है और कब ये खतरनाक हो जाती है. क्या होती है इंटरनल ब्लीडिंग जब हमारे शरीर की ब्लड वेसल्स किसी चोट की वजह से फट जाती हैं तो खून शरीर के बाहर आने की जगह अंदर ही जमा होने लगता है, इसे इंटरनल ब्लीडिंग कहा जाता है. यह बाहर से दिखाई नहीं देती, इसलिए इसे पहचानना मुश्किल होता है. कई बार मामूली चोट में भी थोड़ी मात्रा में खून अंदर जमा हो सकता है, जो कुछ समय बाद खुद ही ठीक हो जाता है. हालांकि, अगर चोट किसी बड़े और जरूरी पार्ट जैसे कि फेफड़े, लिवर, तिल्ली या गुर्दे के पास हो, तो यह बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. पसलियों में इंटरनल ब्लीडिंग क्यों होती है? पसलियां हमारे फेफड़ों और दिल जैसे जरूरी पार्ट्स की सुरक्षा करती हैं. जब किसी तेज टक्कर या चोट से पसली टूट जाती है तो उसका नुकीला सिरा आसपास के पार्ट्स या खून वेसेल्स को छेद सकता है. इससे खून अंदर ही बहने लगता है और सांस लेने में परेशानी होने लगती है. पसलियों की चोट के कुछ सामान्य कारण, खेल या एक्सीडेंट के दौरान तेज झटका या गिरना, किसी मजबूत चीज से सीधे सीने पर चोट होना, गहरी खांसी या सांस लेने में दबाव से पुरानी चोट बढ़ जाना और हड्डियों की कमजोरी के कारण पसलियों का टूटना हो सकते हैं कब खतरनाक हो जाती है पसलियों की इंटरनल ब्लीडिंग? पसलियों में लगी चोट तब जानलेवा हो सकती है जब चोट की वजह से फेफड़े में छेद हो जाए, जिससे फेफड़ा सिकुड़ जाता है या आर्टरी की बड़ी ब्लड वेसेल्स फट जाए और अंदर ही भारी मात्रा में खून बहने लगे. पसलियों के पास के पार्ट जैसे लिवर, तिल्ली या गुर्दे को नुकसान पहुंच जाए. ऐसे मामलों में मरीज को तुरंत ICU में भर्ती करना जरूरी होता है ताकि ब्लीडिंग को कंट्रोल किया जा सके और जरूरत पड़ने पर सर्जरी की जा सके. यह भी पढ़ें झारखंड में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को चढ़ा दिया HIV संक्रमित खून, जानें इस बीमारी से बचाव के तरीके Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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