आज की खबर: How to Identify Natural Fertility Cycle: हार्मोन्स से लेकर ओव्यूलेशन तक, नेचुरल फर्टिलिटी के ये होते हैं संकेत
signs of natural fertility: महिलाओं का शरीर हर महीने कई तरह के बदलावों से गुजरता है. इनमें से कुछ बदलाव बहुत सामान्य होते हैं, जबकि कुछ खास संकेत यह बताते हैं कि महिला फर्टिलिटी के लिए कितनी सक्षम है. आमतौर पर महिलाएं इन नेचुरल संकेतों को नजरअंदाज कर देती हैं, लेकिन अगर ध्यान से समझा जाए तो बिना टेस्ट करवाए भी यह पता लगाया जा सकता है कि शरीर कब सबसे ज्यादा फर्टाइल है. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. हार्मोनल बदलाव महिला के प्रजनन स्वास्थ्य की नींव हार्मोन पर टिकी होती है. पीरियड्स की शुरुआत में एस्ट्रोजन बढ़ता है, जो गर्भाशय की परत को मोटा करता है ताकि गर्भ ठहरने की स्थिति बने. ओव्यूलेशन के बाद प्रोजेस्टेरोन सक्रिय हो जाता है, जो गर्भधारण को सपोर्ट करता है. हार्मोन का यह संतुलन फर्टिलिटी का पहला और अहम संकेत है. ओव्यूलेशन के संकेत ओव्यूलेशन यानी एग्स का ओवम से निकलना. यह मासिक चक्र के बीच के दिनों में होता है, लगभग 12 से 16वें दिन के बीच. इस समय गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है. ओव्यूलेशन के दौरान शरीर खुद भी संकेत देता है, जैसे सर्वाइकल म्यूकस पतला और पारदर्शी होना, जो अंडे की सफेदी जैसा दिखता है. बेसल बॉडी टेम्परेचर सुबह उठते ही शरीर का तापमान बेसल बॉडी टेम्परेचर मापने से भी ओव्यूलेशन का पता चलता है. ओव्यूलेशन के बाद तापमान हल्का-सा बढ़ जाता है और कई दिनों तक ऐसा ही बना रहता है. अगर लगातार ऐसा हो, तो समझिए शरीर फर्टाइल फेज में है. शरीर में दिखने वाले लक्षण इसको लेकर हमारे शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कि हल्का पेट दर्द या खिंचाव महसूस होना ब्रेस्ट में हल्की सूजन लिबिडो का बढ़ना ये सभी छोटे-छोटे बदलाव ओव्यूलेशन के दौरान शरीर खुद दिखाता है. पीरियड्स का रेगूलर आना 28 से 32 दिन का नियमित पीरियड इस बात का संकेत है कि ओव्यूलेशन समय पर हो रहा है. वहीं, बार-बार लेट या मिस्ड पीरियड्स हार्मोनल असंतुलन, थायरॉइड या पीसीओएस का संकेत हो सकते हैं, जो फर्टिलिटी पर असर डालते हैं. इसके अलावा नेचुरल फर्टिलिटी को समझने का आसान तरीका है सर्वाइकल म्यूकस पर ध्यान देना. ओव्यूलेशन से पहले और उसके दौरान यह साफ, खिंचने योग्य और चिकना हो जाता है. यह संकेत है कि शरीर गर्भधारण के लिए तैयार है. अगर सरल शब्दों में कहें, तो हार्मोनल बदलाव, ओव्यूलेशन, बॉडी टेम्परेचर, नियमित मासिक चक्र और सर्वाइकल म्यूकस ये सब बातें मिलकर बताती हैं कि महिला कब फर्टिलिटी के लिए सबसे सही है. इसे भी पढ़ें: Breast Cancer in Young Women: क्या लॉन्जरी पहनने से जल्दी होता है ब्रेस्ट कैंसर? नई-नई जवां हुईं लड़कियां भूलकर भी इग्नोर न करें डॉक्टरों की यह सलाह Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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