आज की खबर: Kidney Transplant: ट्रांसप्लांट के बाद शरीर को एक्सेप्ट करने में कितना वक्त लेती है किडनी, सपोर्ट न करे तो जान बचाने के क्या ऑप्शन?

Satish Shah Death: इस समय फिल्म इंडस्ट्री में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. एक के बाद एक लोगों के निधन की खबरें सामने आ रही हैं. अब मशहूर अभिनेता सतीश शाह के निधन की खबर ने सभी को गहरे दुख में डाल दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने हाल ही में किडनी ट्रांसप्लांट कराया था, लेकिन मुश्किलें बढ़ती चली गईं और आखिरकार किडनी फेल्योर के कारण उनकी जान चली गई.  किडनी ट्रांसप्लांट जितना किसी क जीवन को बचाने के लिए उपयोगी है, उतना ही संवेदनशील और मुश्किल भी है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.  ट्रांसप्लांट के बाद कब तक लगता है अंग को अपनाने में वक्त? यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) Blood and Transplant के अनुसार, किडनी ट्रांसप्लांट के बाद शुरुआती 3 से 6 महीने सबसे अहम होते हैं, क्योंकि इसी दौरान रिजेक्शन का खतरा सबसे अधिक रहता है. इस दौरान मरीज को इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयां दी जाती हैं, ताकि शरीर नई किडनी को पराया अंग मानकर उस पर हमला न करे.अमेरिकन किडनी फंड की रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 10 से 20 प्रतिशत मरीजों में पहले एक साल के भीतर किसी न किसी रूप में रिजेक्शन देखने को मिलता है. यही वजह है कि शुरुआती महीनों में नियमित ब्लड टेस्ट, यूरिन जांच और अस्पताल विजिट बेहद जरूरी माने जाते हैं. रिजेक्शन के संकेत अगर नई किडनी सही से काम नहीं कर रही हो, तो शरीर कुछ संकेत देता है. यूरिन का कम होना, शरीर में सूजन, लगातार थकान और ब्लड रिपोर्ट में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ना इसके प्रमुख लक्षण हैं. ऐसे मामलों में डॉक्टर अक्सर किडनी बायोप्सी के जरिए पुष्टि करते हैं. जब किडनी सपोर्ट न करे तो विकल्प यदि ट्रांसप्लांट फेल हो जाए तो मरीज के पास कुछ ही विकल्प रहते हैं. डायलिसिस पर वापसी: इसमें शरीर से विषैले तत्व और अतिरिक्त तरल निकाले जाते हैं. यह प्रक्रिया हफ्ते में कई बार करनी पड़ती है. री-ट्रांसप्लांट: यदि मरीज की स्वास्थ्य स्थिति और डोनर की उपलब्धता अनुकूल हो, तो दूसरी बार ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. पैलियेटिव केयर: जिन मरीजों के लिए डायलिसिस या री-ट्रांसप्लांट संभव नहीं होता, उनके लिए यह विकल्प रहता है, जिसमें लाइफ की क्वालिटी और आराम पर ध्यान दिया जाता है. किडनी ट्रांसप्लांट जीवन देने वाला उपाय है, लेकिन यह रेगूलर देखभाल और सतर्कता की काफी ज्यादा जरूरत  होती है. इसके लिए NHS और Kidney Fund के अनुसार, शुरुआती 3 से  6 महीने में अनुशासन और सतर्कता सबसे अधिक जरूरी है. यही वो समय है जब मरीज की नई जिंदगी की नींव पड़ती है. अगर आप इसको लेकर सतर्क नहीं रहते हैं, तो इससे आपको दिक्कत हो सकती है.  इसे भी पढ़ें: इस बीमारी के चलते हुआ एक्टर सतीश शाह का निधन, जानें किस स्टेज में हो जाती है ये खतरनाक? Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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