आज की खबर: Digital Drug Promotion: एंटीबायोटिक्स और प्रिस्किप्शन वाली दवाओं के प्रचार पर क्यों लग रही रोक, इससे आम लोगों को कितना खतरा?
Reasons For Male Infertility: पिछले कुछ सालों में पुरुषों में इनफर्टिलिटी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका सीधा असर परिवार शुरू करने की सोच रहे युवा कपल्स पर दिख रहा है. लोग यह मानते हैं कि कि बांझपन बस महिलाओं की समस्या है, लेकिन देश में होने वाले कुल इनफर्टिलिटी मामलों में लगभग 40 प्रतिशत जिम्मेदारी पुरुषों की पाई जा रही है. इसके साथ ही महिलाओं से जुड़े कारण भी 40 प्रतिशत के आसपास हैं, जबकि 10 प्रतिशत ऐसे मामलें देखने को मिलें हैं, जिनमें समस्या दोनों पक्षों में है और बाकी 10 प्रतिशत पूरी तरह अनएक्सप्लेंड रहती है. पुरुषों में क्यों बढ़ रही है इनफर्टिलिटी? पुरुष इनफर्टिलिटी का सबसे बड़ा कारण घटता हुआ स्पर्म काउंट, उसकी मोटिलिटी और मॉर्फोलॉजी है. 2022 की एक वर्ल्ड मेटा-एनालिसिस में पाया गया है कि 1973 से 2018 के बीच पुरुषों के औसत स्पर्म कंसंट्रेशन में 51.6 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज हुई है. वर्ल्ड हेल्श ऑर्गेनाइजेशन ने भी अपने पैमाने को बदलते हुए अब 15 मिलियन स्पर्म(मिलीलीटर) को नॉर्मल सीमा की निचली हद माना है, जबकि पहले यह सीमा 40 मिलियन (मिलीलीटर) के आसपास मानी जाती थी. एक्सपर्ट क्या कहते हैं? एक्सपर्ट बताते हैं कि आज सिर्फ स्पर्म काउंट नहीं, बल्कि उसकी क्वालिटी भी बड़ी चुनौती बन चुकी है. उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में भी ‘बायोलॉजिकल क्लॉक’ असर दिखाता है, जिससे स्पर्म डीएनए की क्वालिटी गिरती है और भविष्य के बच्चे पर भी स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकते हैं. देर से बाप बनना, तनाव, अनरेगुलर लाइफस्टाइल, स्मोकिंग, अल्कोहल, खराब खान-पान और लंबे कार्य-घंटे स्पर्म को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. स्टडी में क्या निकला? इसके अलावा हाल के स्टडी में पाया गया है कि एयर पॉल्यूशन, माइक्रोप्लास्टिक्स, नैनोप्लास्टिक्स और केमिकल एक्सपोजर मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम क्षमता पर गंभीर असर डाल रहे हैं. बीपीए, फ्थैलेट्स और कई पेस्टिसाइड्स जैसे केमिकल हॉर्मोन के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ते हैं और टेस्टोस्टेरोन कम कर देते हैं, जिससे स्पर्म प्रोडक्शन प्रभावित होता है. PM2.5, हेवी मेटल्स और धूम्रपान में मौजूद फ्री रेडिकल्स स्पर्म डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं. एम्स से जुड़े एक स्टडी में पुरुषों के बीच ऐजूस्पर्मिया (सैंपल में स्पर्म ही न होना) और ओएटीएस सिंड्रोम जैसे स्पर्म की संख्या, मोबिलिटी या आकार का सामान्य से कम होना, पुरुष इंफर्टिलिटी के सबसे सामान्य कारण पाए गए हैं. कब जांच करवानी चाहिए? एक्सपर्ट कपल्स को सलाह देते हैं कि अगर एक साल तक प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण नहीं हो पा रहा है, तो पुरुषों को भी तुरंत जांच करानी चाहिएय सही आकलन के लिए 2 से 3 दिन के अंतर पर तीन अलग-अलग सीमन रिपोर्ट जरूरी मानी जाती हैं। सामान्य रिपोर्ट में 2 एमएल से अधिक वॉल्यूम, 20 मिलियन एमएल से अधिक काउंट, 50 प्रतिशत से अधिक मोटिलिटी और 30 प्रतिशत से अधिक नॉर्मल फॉर्म्स को मानक माना जाता है. क्या है इलाज? रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में ब्लॉकेज जैसी समस्याएं सर्जरी से ठीक की जा सकती हैं. कई मामलों में IUI या ICSI जैसी असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी से सिर्फ एक स्पर्म के सहारे भी बाप बनना संभव है. इसे भी पढ़ें- क्या सच में एग योक…
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