आज की खबर: शांति वार्ता शुरू होते ही पाकिस्तान ने तोड़ा सीजफायर, अफगानिस्तान पर दागे गोला-मोर्टार

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गुरुवार (6 नवंबर 2025) को वाशिंगटन डीसी में एक वार्षिक शिखर सम्मेलन में पांच मध्य एशियाई देशों उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के प्रमुखों की मेजबानी करेंगे. इन सभी देशों के ग्रुप को C5+1 के नाम से जाना जाता है. इसके माध्यम से ट्रंप चीन और रूस को सख्त संदेश देना चाहते हैं. ये सभी सोवियत संघ से अलग हुए देश हैं.  C5+1 क्या है? C5+1 की स्थापना साल 2015 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई पहली बैठक के दौरान की गई थी. तब अमेरिका और इन सभी देशों ने व्यापार, ट्रांसपोर्ट, एनर्जी और संचार के क्षेत्र में आपसी सहयोग मजबूत करने का संकल्प लिया था. साल 2023 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर मध्य एशियाई नेताओं के साथ बैठक की थी. रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद ये बैठक हुई थी. कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव की ओर से जारी बयान के अनुसार 2023 में दोनों नेताओं के बीच साइबर सुरक्षा, आतंकवाद, उग्रवाद, अवैध प्रवास और नारकोटिक्स की तस्करी जैसे खतरों सहित सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा हुई. मध्य एशिया देशों पर क्यों है ट्रंप की नजर? इस समय रूस और चीन भी मध्य एशिया के इन देशों के साथ ट्रेड डील करने की कोशिश में लगे हुए हैं. ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले छह महीनों में अमेरिका ने मध्य एशिया के साथ कुल 12.4 अरब डॉलर के व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें रेअर अर्थ मिनरल्स, सुरक्षा और विमानन शामिल है. रेअर अर्थ मिनरल्स के क्षेत्र में चीन अमेरिका को झटका दे चुका है ऐसे में इन देशों से ट्रेड डील कर ट्रंप अमेरिका के लिए दूसरा विकल्प खोजने में जुए गए हैं. उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान में प्रचूर मात्रा में रेअर अर्थ मिनरल्स मौजूद है. कजाकिस्तान ने अप्रैल 2025 में नए अर्थ मिनरल्स सेरियम, लैंथेनम नियोडिमियम और यिट्रियम के भंडार खोजे हैं, जिसका इस्तेमाल, स्मार्टफोन ओर कंप्यूटर हार्ड डिस्क के पूर्जे बनाने में होता है. मध्य कजाकिस्तान के करागांडी स्थित भंडार स्थल में इन धातुओं का अनुमान 2 करोड़ टन से ज्यादा है. अगर सच में ऐसा है तो फिर यह चीन के रेअर अर्थ मिनरल्स का लगभग आधा होगा. चीन और रूस की टेंशन बढ़ा रहे ट्रंप अगर डोनाल्ड ट्रंप मध्य एशियाई देशों के साथ मिलकर रेअर अर्थ मिनरल्स की डील कर लेते हैं तो चीन पर से उनकी निर्भरता करीब-करीब खत्म ही हो जाएगी. इतना ही नहीं फिर इन मिनरल्स की सप्लाई पर भी अमेरिका का वर्चस्व हो जाएगा. अभी तक इस पर चीन को एकाधिकार है और ट्रंप इसकी तोड़ खोजने में लगे हुए हैं. सोवियत संघ से अलग होने के बाद भी इन देशों का रूसी राष्ट्रपति पुतिन से अच्छे संबंध हैं. ट्रंप इन देशों को अपने पाले में करके रूस को अलग-थलग करने की कोशिश में भी लगे हुए हैं. साल 2022 में C5+1 देशों के साथ अपने रिश्ते को बेहतर करने के लिए पुतिन समझौता कर चुके हैं. 
पूरा पढ़ें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *