आज की खबर: भारतीय इकोनॉमी पर आई बड़ी खबर, यूएस-चीन से पाकिस्तान तक सब होंगे परेशान

India’s GDP Growth: अमेरिकी हाई टैरिफ का सामना कर रहे भारत की आर्थिक वृद्धि पर चालू वित्त वर्ष में कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. बल्कि अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ते हुए और मजबूती से आगे बढ़ेगी. ऐसा कहना है मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन का. उनका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर 7% तक पहुंच सकता है. ‘ए’ रेटिंग की दिशा में बढ़ रहा भारत भारत समुद्री सप्ताह (IMW) के दौरान नागेश्वरन ने कहा कि हाल ही में तीनों प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भारत की क्रेडिट रेटिंग आउटलुक को पॉजिटिव किया है. यदि देश मौजूदा आर्थिक दिशा में आगे बढ़ता रहा, तो जल्द ही भारत ‘A’ रेटिंग कैटेगरी में शामिल हो सकता है. शिक्षाविद से नीति सलाहकार बने नागेश्वरन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का जुझारूपन, सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतियों के साथ मिलकर, इसे एक ‘आरामदायक स्थिति’ में बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि इस साल वैश्विक अनिश्चितताओं और टैरिफ जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है. आयकर में राहत, GST संरचना में सुधार और अन्य नीतिगत कदमों ने चालू वित्त वर्ष की विकास दर को लगभग 7% तक पहुंचाने में मदद की है. नागेश्वरन ने फरवरी में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में GDP वृद्धि दर 6.3% रह सकती है. बाद में अमेरिकी शुल्क प्रभाव को देखते हुए इसे 6% तक घटाया गया था. लेकिन, अब वे मानते हैं कि मांग बढ़ाने और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए समयबद्ध नीतिगत कदमों ने अर्थव्यवस्था को मजबूत स्थिति में ला दिया है. RBI के कदमों से मिली सहारा बैंक लोन वृद्धि में आई सुस्ती पर उठे सवालों का जवाब देते हुए नागेश्वरन ने कहा कि अर्थव्यवस्था में कुल पूंजी प्रवाह (total resource mobilisation) को देखना जरूरी है. इसमें गैर-बैंक ऋणदाताओं, वाणिज्यिक पत्रों, डिपॉजिट सर्टिफिकेट्स और इक्विटी मार्केट्स के माध्यम से जुटाई गई पूंजी भी शामिल है. उन्होंने RBI के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले छह वर्षों में कुल संसाधन जुटाने में 28.5% की वार्षिक वृद्धि हुई है. इसी कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) के चेयरमैन के. राजारामन ने कहा कि शिपिंग, पोर्ट्स और मरीन इंडस्ट्री को अगले कुछ वर्षों में 300 अरब डॉलर से अधिक की फंडिंग की जरूरत होगी. इसे जुटाने के लिए गिफ्ट सिटी (GIFT City) एक प्रभावी प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है. ये भी पढ़ें: सोना-चांदी खरीदें या अभी इंतजार करें? जानें गोल्ड रेट में आगे आएगी कमी या होगा बड़ा उछाल
पूरा पढ़ें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *