आज की खबर: ‘…तो धरती से मिट जाएगा मॉस्को का नामो-निशां’, बेल्जियम के रक्षा मंत्री ने पुतिन को क्यों दी धमकी?
हाल ही में रूस ने ऐसी मिसाइल की टेस्टिंग की जो असीमित समय के लिए हवा में उड़ सकती है. इस नए हथियार प्रणाली के बीच रूस को धमकी मिली है. बेल्जियम के रक्षा मंत्री थियो फ्रैंकेन ने कहा है कि अगर रूस ने ब्रुसेल्स पर हमला करने की कोशिश की, तो NATO जवाब में मॉस्को को पूरी तरह तबाह कर देगा. बेल्जियम की पत्रिका Humo से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हमले को लेकर कोई डर नहीं है, क्योंकि ऐसा कदम NATO के दिल पर हमला होगा और फिर ‘हम मॉस्को को दुनिया के नक्शे से मिटा देंगे. परमाणु हमला नहीं करेंगे पुतिन- फ्रैंकेन का दावाफ्रैंकेन ने कहा कि पुतिन जानते हैं कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्योंकि ऐसा करने पर NATO की तरफ से पलटवार तय है. उन्होंने कहा, अगर रूस परमाणु हमला करता है, तो इसका मतलब दुनिया से रूस का अंत है. रूस की ‘ग्रे जोन रणनीति’ पर जताई चिंताबेल्जियम के मंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें रूस के ‘गुप्त तरीकों’ से अधिक खतरा है. उनके अनुसार, रूस लिटिल ग्रीन मेन जैसे तरीकों से NATO देशों में अस्थिरता फैला सकता है, जैसे कि एस्टोनिया में रूसी-भाषी अल्पसंख्यकों को भड़काना और वहां कब्जा करने की कोशिश करना. यह 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के दौरान इस्तेमाल की गई रूस की रणनीति का जिक्र था.रूसी दूतावास ने बताया- उकसाने वाला और गैर-जिम्मेदार बयानबेल्जियम में रूसी दूतावास ने मंगलवार को एक बयान जारी कर फ्रैंकेन के बयान को ‘उकसाने वाला और हकीकत से दूर’ बताया. हालांकि, फ्रैंकेन ने सोशल मीडिया पर अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनके शब्दों को गलत संदर्भ में लिया गया है. यूरोप में बढ़ती ड्रोन घटनाओं से बढ़ी चिंताहाल के हफ्तों में रूस से जुड़े कई ड्रोन और विमान NATO व EU की हवाई सीमा में घुसने की घटनाएं सामने आई हैं. पिछले महीने लगभग 20 रूसी ड्रोन पोलैंड में घुसे, जिनमें से कुछ को NATO के फाइटर जेट्स ने मार गिराया था. बेल्जियम ने बुधवार को ड्रोन की घुसपैठ की जांच शुरू की, जो इस महीने की दूसरी ऐसी घटना है. EU देशों ने बनाई ‘ड्रोन वॉल’पूर्वी यूरोप के EU सदस्य देशों ने हाल ही में ‘ड्रोन वॉल’ बनाने का फैसला लिया है ताकि हवाई सुरक्षा को मजबूत किया जा सके. विश्लेषकों का मानना है कि रूस इन घटनाओं के जरिए NATO की एकजुटता और प्रतिक्रिया क्षमता को परख रहा है. हालांकि, क्रेमलिन ने इन घटनाओं को जानबूझकर की गई उकसावे की कार्रवाई मानने से इनकार किया है.
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