आज की खबर: चीन के खिलाफ कुछ बड़ा करने वाला है यूरोपीय यूनियन! रेअर अर्थ मिनरल्स को लेकर दी चेतावनी, कहा- रैकेट चला रहा बीजिंग
वो शांत था…बेहद शांत और ऐसी शांति में वो पिछले करीब 12 हजार साल से था, लेकिन अचानक वो फट पड़ा. फटा तो ऐसा फटा कि उसके धुएं का गुबार नदी-नाला-सागर-महासागर-पर्वत-पहाड़-पठार को पार करते हुए भारत भी पहुंच गया और राजधानी दिल्ली ने कुछ घंटों के लिए ही सही, लेकिन धुएं की चादर ओढ़ ली. अब धुआं छंट चुका है. दिल्ली का आसमान फिर से नीला है और लोगों के मन में सवाल हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो 12 हजार साल से शांत था वो अचानक फट पड़ा. 15 किमी ऊंचा उठा राख का ढेर अफ्रीका का इकलौता देश इथियोपिया जिसपर यूरोप कभी अपना कब्जा नहीं जमा सका. करीब-करीब 11 करोड़ लोग इस देश के नागरिक हैं. इसी देश में 12 हजार साल से सोया हुआ ज्वालामुखी अचानक से फट पड़ा है. इसके फटने से सल्फर डाई ऑक्साइड और राख का एक ढेर करीब 15 किमी की ऊंचाई तक पहुंचकर ऐसे धुएं में तब्दील हुआ है, जिसने लाल सागर को पार किया, यमन-ओमान को पार करता हुआ अरब की खाड़ी होता हुआ पाकिस्तान से हिंदुस्तान पहुंचा और अब यहां से वो चीन निकल गया है. दिल्ली तक पहुंची गुब्बी ज्वालामुखी की आंच जिस धुएं ने ये तबाही मचाई है, उसकी वजह है हेली गुब्बी ज्वालामुखी, जो इथियोपिया के अफार इलाके में है. हालांकि इस ज्वालामुखी के फटने से कोई जनहानि नहीं हुई है, लेकिन जहां-जहां भी धुएं का ये गुबार पहुंचा है, वहां लोगों को सांस लेने में थोड़ी तकलीफ हुई है और इस रूट की फ्लाइट्स को कुछ समय के लिए या तो रद्द या फिर डाइवर्ट करना पड़ा है क्योंकि राख की वजह से फ्लाइट के इंजन को नुकसान पहुंच सकता था. भारत में भी 11 फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ा, क्योंकि राख दिल्ली तक पहुंच गई थी. सबसे बड़ा सवाल कि आखिर हेली गुब्बी क्यों फटा? क्यों फटा हेली गुब्बी ज्वालामुखी? इसे किसी ईंट-भट्ठे से या फिर अपने किचन में लगी चिमनी से समझते हैं. जब आप किचन में खाना बनाते हैं तो घर में धुआं भरता है और उसे निकालने के लिए आप चिमनी ऑन करते हैं. धुंआं चिमनी से होता हुआ बाहर चला जाता है और आपका घर धुएं से खाली हो जाता है. ठीक ऐसे ही ज्वालामुखी धरती की चिमनी होती है. धरती के अंदर भी गर्म लावा भरा है, गैस भरी है और राख भरी है. गर्म लावा बेहद हल्का होता है और सतह पर आने की कोशिश करता है. धरती की टेक्टॉनिक प्लेट्स जब आपस में टकराती हैं तो उस वक्त ये लावा सतह पर आने की कोशिश करता है और ऐसे वक्त में ही वो धरती की ऊपरी सतह को फाड़कर बाहर आ जाता है. बाहर आने के साथ ही लावा जमता जाता है और पहाड़ जैसी आकृति बनती जाती है. इसको ही ज्वालामुखी कहते हैं. आसान भाषा में कहें तो धरती की अपनी चिमनी होती है. अब चूंकि धरती बहुत बड़ी है तो इसके पास कई चिमनियां भी हैं. करीब-करीब 1500 से भी ज्यादा. इनमें से भी ज्यादातर प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर वाले इलाके में…
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